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Tyre लेने से पहले जान लीजिए ट्यूबलेस और ट्यूब दोनों टायरों में अंतर, नहीं तो हो सकता है नुकसान


Tyre लेने से पहले जान लीजिए ट्यूबलेस और ट्यूब दोनों टायरों में अंतर, नहीं तो हो सकता है नुकसान, सुबह से लेकर शाम तक आप ने बहुत सी गाड़ियों को देखा होंगे उसमे एक चीज सेम होती है. किसी भी गाड़ी में टायर बहुत अहम् होते है. आजकल वाहनों में 2 तरह के टायर आ रहे हैं. ट्यूब वाले टायर या दूसरे ट्यूबलेस टायर. जैसा ही हम जानते हैं ट्यूब टायरों में अंदर एक रबर का ट्यूब होता है, जिसके अंदर हवा भरी जाती है. पंक्चर होने पर ट्यूब निकालकर सुधार दिया जाता और टायर चलने लगता है. वहीं ट्यूबलेस टायर में ट्यूब नहीं होता है. इसमें हवा सीधे टायर में ही भरी जाती है. बहुत से लोगो के दिमाग में यह सवाल जरूर होता है की कोनसा टायर लिया जाए ट्यूब वाले टायर या ट्यूबलेस टायर आइये आपको बताते है इसके बारे में.

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दोनों तरह के टायरों के फायदे और नुकसान के बारे में और इन दोनों के अंतर बिच अंतर

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पंचर होने पर

बात करे पंचर होने की तो ट्यूबलेस टायर अगर पंचर हो जाए तो एयर बहुत धीरे-धीरे निकलती है. ऐसे में गाड़ी को सही जगह लेकर जाने का समय मिल जाता है. गाड़ी को चला भी सकते हैं, क्योंकि ट्यूब खराब होने का डर नहीं रहता है. वहीं ट्यूब टायर अगर पंचर हो जाएं तो तुरंत हवा निकल जाती है. जिससे गाड़ी को चलाया नहीं जा सकता है. तो यह थे दोनों प्रकार के टायरों में अंतर।

हवा कम होने पर घर्षण नहीं होता

सबसे पहले हम बात करेंगे टायरों में हवा कम होने पे ट्यूब टायर में हवा कम होने पर अंदर घर्षण बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हीट जनरेट होती है. हीट जनरेट होती है तो टायर गर्म हो जाता है. इसकी वजह से ट्यूब टायर की लाइफ कम हो जाती है. वहीं ट्यूबलेस टायर में हवा कम होने पर घर्षण नहीं होता है. इसी लाइफ ट्यूब वाले टायर के मुकाबले ज्यादा रहती है. अब और आगे बताते है.

ज्यादा स्टेबिलिटी और बेहतर हैंडलिंग मिलती है
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आपको बता दे की ट्यूबलेस टायर सीधे रिम से जुड़ा हुआ होता है. इसलिए वाहन को स्पीड पर चलाने पर ज्यादा स्टेबिलिटी और बेहतर हैंडलिंग देखने को मिलती है. वहीं ट्यूब टायरों में प्रेशर ट्यूब में भरा होता है. इसकी वजह से ज्यादा लोड लेकर हाई स्पीड पर चलने से स्टेबिलिटी और हैंडलिंग की दिक्कत रहती है. यानी इस मामले में भी ट्यूबलेस टायर अच्छा है.

गाड़ी का माइलेज पर पड़ता है असर

गाड़ी का माइलेज भी बहुत हद तक टायर पर डिपेंड करता है. आपको बता दे की ट्यूबलेस टायर हल्के रहते हैं. इसलिए इंजन को टायर घुमाने के लिए कम ताकत लगाने की जरूरत पड़ती है. इसलिए कह सकते हैं कि ट्यूबलेस टायर वाली गाड़ियों में थोड़ा बेहतर माइलेज मिल जाता है. वहीं ट्यूब टायर मुकाबले में ज्यादा भारी रहते हैं. इसलिए इनमें थोड़ा माइलेज कम हो जाता है. तो यह थे ट्यूब और ट्यूबलेस टायर में अंतर।

Disclaimer: यह जानकारी विभिन्न रिपोर्ट से आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, अतः इसे सलाह के तौर पर ही ले इस की पुष्टि ग्रामीण मीडिया नहीं करता है.


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