इस फसल की बुवाई से किसानों को होगा धमाकेदार फायदा, ये हैं प्रमुख किस्में, किसानों ने अब आय बढ़ाने के उद्देश्य से एक साल में कई फसलें लेने का प्रयास किया है। यह स्थिति प्रगतिशील किसानों के लिए भी एक बड़ा अवसर हो सकता है, जो अपनी आय को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
आलू को करते है पसंद

खेत खाली होने पर आलू की बुवाई करने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि इससे अच्छा लाभ हो सकता है। इसका मुख्य कारण है कि आलू की अगेती फसल तेजी से तैयार हो जाती है, जिससे बाजार में पहले आने के कारण उन्हें ठीक मूल्य मिल सकता है। लोग पुराने आलू की बजाय नए आलू की सब्जी बना के खाना ज्यादा पसंद करते हैं, इससे उन्हें अधिक आकर्षक लगता है। आलू की अगेती के बाद, किसान गेहूं की बुवाई भी करके डबल लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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60 से 90 दिन में पूरी तरह से तैयार
कृषि विज्ञानिकों के अनुसार, आलू की अगेती फसल 60 से 90 दिन में पूरी तरह से तैयार हो जाती है, यानी दो से तीन महीनों में ही। उदाहरण के लिए, कुफरी सूर्या जैसी किस्म की आलू बुवाई के बाद रबी मौसम में पछेता गेहूं की बुवाई की जा सकती है। आलू की कुफरी सूर्या किस्म का रंग सफेद होता है और इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल तक की उपज हो सकती है।
किस्मे और खेत की तैयारी
इसके अलावा, दूसरी त्वरित तैयार होने वाली आलू की किस्में भी हैं, जैसे कुफरी अशोक, कुफरी चंद्रमुखी और कुफरी जवाहर, जिनमें हर किस्म के अपने विशेष विशेषताएँ हैं और उनका उपयोग उनके प्राथमिक चरणों के आधार पर किया जा सकता है। खेत की तैयारी के मामूली तरीके में, आलू के लिए हलकी से लेकर भारी मिट्टी बेहद उपयुक्त होती है। आलू वाले खेत में भूमि का सुफ़ास करना आवश्यक है और जल का निकास होना भी महत्वपूर्ण है।
बीज कैसे बोना चाहिए

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लवणीय और क्षारीय भूमि में आलू की खेती नहीं की जा सकती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खेत का चयन ध्यानपूर्वक किया जाए।खेत की तैयारी के दौरान, बिजाई से पहले खेत को समतल करना और जल निकास का उचित प्रबंध करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर खेत में ढेले बन जाते हैं, तो उन्हें खुदाई से पहले हटा देना चाहिए।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा और बिजाई के संदर्भ में, आलू के बीज की मात्रा कन्दों के आकार पर निर्भर होती है। कन्दों को 30-70 ग्राम के बीच में और 55-60 सेंटीमीटर की दूरी पर 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना चाहिए, जैसा कि आपने प्रायोजनक पराग्राफ में पढ़ा, अगर कन्दों का वजन 100 ग्राम से अधिक है, तो उन्हें 35-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना जा सकता है। इससे आपको अच्छा उत्पादन मिल सकता है। कटे हुए कन्दों की बिजाई को 15 अक्तूबर के बाद करने की सिफारिश की जाती है
करना होगा यह काम

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जब कन्दों में 2-3 आंखें होती हैं और कन्द का वजन 25 ग्राम से कम नहीं होता। इन कटे हुए कन्दों को इंडोफिल एम 45 के घोल में 5-10 मिनट तक डुबाकर उपचारित करने के बाद, उन्हें छायादार स्थान पर 14-16 घंटे तक सुखाने की सलाह दी जाती है जिसे आप बार में अच्छे दाम पर बेच सकते है और इसके बाद उन्हें बिजाई में प्रयोग किया जा सकता है।इस तरह, आप खेती में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय को बढ़ा सकते हैं, जिससे किसानों के लिए एक बेहद प्रासंगिक विकल्प प्रस्तुत होता है।