अलसी की खेती करने का यह है उचित समय, इसकी उन्नत वैरायटी कम पानी में देती है अच्छी पैदावार, देखिये, देश में बहुत सी प्रकार की तिलहनी फसलों की खेती की जाती है, उसी में से एक है अलसी की फसल, इसे मुख्यतः तेल के लिए इसकी खेती की जाती है, खासकर अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का समय असली की खेती के लिये सबसे उपयुक्त रहता है. और यह फसल कम पानी वाली भूमि पर भी हो जाती है, तो आइये जानते है अलसी की खेती की कुछ जानकारी तथा इसकी उन्नत किस्मो की बारे में..
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अलसी की फसल की बुआई के बारे में

अलसी की फसल की बुआई की बात करे तो आपको बता दे की अलसी की बुवाई के लिये छिड़काव विधि और कतार विधि का प्रयोग किया जाता है. किसान चाहें तो खेतों में बीजों को छिड़कर या सीड ड्रिल मशीन से लाइनों में असली की बिजाई कर सकते हैं. भारत में रबी सीजन के दौरान इसकी बुवाई की जाती है. खासकर अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का समय असली की खेती के लिये सबसे उपयुक्त रहता है.
अलसी की उन्नत वैरायटी

अलसी की उन्नत वैरायटी की बात करे तो सुयोग, जेएलएस- 23, पूसा- 2, पीकेडीएल- 41, टी- 397, शीतल, रश्मि, भारदा, इंदिरा अलसी- 32, जेएलएस- 67, जेएलएस- 66, जेएलएस- 73 आदि प्रमुख किस्में की बुवाई की जाती है जो 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है.
अलसी की फसल की कटाई और आमदनी

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अलसी की फसल की कटाई की बात करे तो यह बुवाई के करीब 100 से 120 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है. जब फसल पकने के बाद सूख जाती है तो इसकी कटाई का काम किया जाता है. इसका उत्पादन पूरी तरह खेती करने के तरीके और किस्म और इलाकों पर निर्भर करता है. जिसका बाज़ारी भाव काफी अच्छा होता है.